देहरादून। तमतमाती गर्मी और भीषण लू की चपेट में आधा भारत है, लिहाजा मौसम भयावह हो गया है। करीब 50 शहरों में तापमान 46-47 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। राजधानी दिल्ली में कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां पारा 48 डिग्री तक पहुंच गया है। राजधानी क्षेत्र गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा में भी तापमान करीब 47 डिग्री सेल्सियस रहा है। राजस्थान के फलौदी में लगातार तीसरे दिन तापमान 49 डिग्री को पार कर गया। यह देश का सबसे ज्यादा गरम इलाका रहा। ये सामान्य तापमान नहीं हैं, क्योंकि एक हद के बाद गर्मी और लू के ये थपेड़े जानलेवा साबित हो सकते हैं। देश में एक तरफ चिलचिलाती गर्मी है, तो दूसरी ओर पश्चिमी तट पर ‘रेलम तूफान’ ने थपेड़े मारते हुए बहुत कुछ बर्बाद किया है। कई जानें भी गई हैं। तेज हवाएं चल रही हैं और खूब बारिश का आलम है। यह विरोधाभास एक ही देश के भीतर दिख रहा है। यही जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव है। दिल्ली ही नहीं, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई जैसे महानगरों में ‘ताप प्रभाव और सूचकांक’ स्पष्ट दिख रहा है। यह विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की रपट का सारांश है। यहां पर कंकरीट या पक्का निर्माण बढऩे के साथ ही हरित क्षेत्र पहले की तुलना में कम हुए हैं। इसके कारण रात के समय भी तापमान में अपेक्षित गिरावट नहीं आ रही है। गर्मी का ऐसा प्रचंड प्रभाव है कि सडक़ों पर दौड़ रहे वाहनों के टायर पिघल रहे हैं। नतीजतन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस उबलती गर्मी के मानवीय दुष्प्रभाव भी हैं।
प्रख्यात पत्रिका ‘लैंसेट’ ने अध्ययन किया है कि यह मौसम मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप और किडनी के मरीजों के लिए बेहद गंभीर दुष्प्रभावों वाला है। चिकित्सकों का मानना है कि लोगों को काम से बाहर जाना उनकी विवशता है, लिहाजा प्रचंड गर्मी से लोग ‘डिहाइड्रेशन’ का शिकार हो रहे हैं। उससे किडनी की कार्यक्षमता सीधे ही प्रभावित होती है। उससे कई और बीमारियां बढ़ सकती हैं। हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि दिल्ली सरकार के सभी 26 अस्पतालों में 2-3 बिस्तर आरक्षित किए जा रहे हैं। लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में 5 बिस्तर आरक्षित करने का फैसला लिया गया है। मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र का आकलन है कि तमतमाती गर्मी जून में भी भयावह होगी, क्योंकि इस बार गरम लू के दिन दोगुना होंगे। सबसे ज्यादा असर दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उप्र, गुजरात और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में दिखेगा। उत्तर-पश्चिम राज्यों में जून में सामान्य रूप से गरम लू के 3 दिन होते हैं, लेकिन इस बार कमोबेश 6 दिन रहने की आशंका है।
रात का तापमान भी 4-6 डिग्री अधिक रहेगा। गर्मी के साथ-साथ उमस भी बढ़ेगी। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की रपट के मुताबिक, शहरों में नमी ज्यादा होने और तापमान में बढ़ोतरी के चलते वहां का मौसम पहले से ज्यादा असहनीय होता जा रहा है। इस पर तुरंत प्रबंधन अनिवार्य है। हरित क्षेत्र में बढ़ोतरी, जलाशयों के निर्माण के साथ-साथ भवनों की संरचना में ऐसे बदलाव लाए जाने चाहिए, जिससे वे तापमान के ज्यादा अनुकूल हो सकें। ऐसे गरम मौसम में चिकित्सकों की सलाह है कि इस मौसम में कई वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि गर्मी में कुछ खाने के बाद उल्टी आने लगती है या फिर पेट में जलन होने लगती है। यह पाचन-तंत्र की गड़बड़ी का पहला संकेत है, लिहाजा गर्मियों में तरबूज और खरबूजे का पर्याप्त सेवन करना चाहिए। इन फलों में पानी होता है। ये शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं। ऐसे मौसम में नारियल का पानी, खीरा, दही, पुदीना, आम, लीची, आड़ू, संतरा, मौसमी, खुबानी, अनानास, अनार आदि भी फायदेमंद होते हैं। बहरहाल, हम प्रकृति की ताकत को भूल बैठे हैं, लिहाजा गर्मी-लू विस्फोट जैसे लग रहे हैं।