Breaking News
डीआईटी विश्वविद्यालय ने मनाया राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह 2024 संपन्न
मुस्लिम समाज के “आधुनिक” नायक
मसूरी को मिलने जा रही है जाम से सहूलियत
सौंग बांध पेयजल परियोजना पर कार्य शुरू करने के लिए विस्थापन की कार्यवाही जल्द की जाएः सीएम
राज्यपाल से पर्वतारोही शीतल ने की शिष्टाचार भेंट
विश्व मत्स्य पालन दिवस पर मत्स्य पालन में उत्तराखंड को मिला हिमालयी और उत्तरपूर्वी राज्यों में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार
जिला उद्योग मित्र समिति की बैठक का आयोजन, कहा-उद्योग मित्रों की समस्याओं को प्राथमिकता के साथ निस्तारण करें
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने उत्तरा एम्पोरियम व आईटीडीए ग्रोथ सेन्टर ऋषिकेश का भ्रमण किया
यात्रा प्राधिकरण गठित कर आगामी यात्रा की तैयारी में अभी से जुटें अधिकारी : मुख्यमंत्री

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन

देहरादून । पाकिस्तान को 2 युद्धों में धूल चटाने वाली भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे पायलट बाबा अब नहीं रहे। पायलट बाबा का आज निधन हो गया है। पायलट बाबा देश के बड़े संतों में एक थे। वो श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर भी थे। आज मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन होने से जूना अखाड़े सहित समस्त संत समाज व अखाड़े में शोक की लहर व्याप्त है।

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। जूना अखाड़े द्वारा तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

श्री महंत हरी गिरी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी सन्यास यात्रा प्रारंभ की। उन्होंने कहा पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे।

संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे। पायलट बाबा को वायु सेना का पायलट होने के कारण संन्यास लेने पर इसी नाम से प्रसिद्धि मिली। उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था। इन युद्धों में उन्होंने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी। उन्होंने पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 में हुए दो युद्धों में हिस्सा लिया था। दोनों युद्धों के सफल अभियान के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए।

साल 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया था। श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी।

वहीं, हरिद्वार के पायलट बाबा आश्रम का संचालन देखने वाले उनके शिष्य स्वामी मुक्तानंद से हुई वार्तालाप में उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी कब उन्हें समाधि दी जाएगी ये तय नहीं हुआ है, लेकिन हरिद्वार में उनके शरीर को सभी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के लिए रखा जाएगा।

पायलट बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनकी महासमाधि की जानकारी दी गई है। सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर लिखा गया है- ओम नमो नारायण, भारी मन से और अपने प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ, दुनिया भर के सभी शिष्यों, भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है। उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है। यह समय हम सभी के लिए अपने घरों में रह कर प्रार्थना करने का है। कृपया परेशान न हों। यह समय शांत रहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का है। आगे की जानकारी साझा की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top