- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुसांगिक विश्वस्तरीय संगठन है संस्कृत भारती
- संस्कृत को जनजन की भाषा बनाने में संस्कृत भारती का महत योगदानः डॉ बिजल्वाण
- उत्तराखंड में आम जन की भाषा बनाएंगे संस्कृत को
देहरादून। समग्र देहरादून जनपद में संस्कृत के प्रसार प्रसार हेतु समाचरित संस्कृत सप्ताह के सम्पूर्ति सत्र जनकल्याण न्यास धर्मपुर, देहरादून में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री गुरु रामराय लक्ष्मण संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा राम भूषण विजल्वाण ने संस्कृत के व्यावहारिक महत्व बताकर संस्कृत को ही भविष्य बताया। मुख्य वक्ता डा सूर्य मोहन भट्ट ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता, सामाजिक सामरस्य एवं संघठन के महत्व पर प्रकाश डाला।
विभाग संयोजक नागेन्द्र व्यास ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए देहरादून जिले के अध्यक्षीय दायित्व हेतु डा. राम भूषण बिजल्वाण जी की उद्घोषणा की। उन्होंने सहर्ष दायित्व के लिए स्वीकारोक्ति प्रदान कर ही समस्त कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर आगामी सितंबर माह में हरिद्वार में होने वाली अखिल भारतीय स्तर की त्रिदिवसीय गोष्ठी की रणनीति बनाने की बात कही। संस्कृत भारती के पूर्व अध्यक्ष डॉ सूर्य मोहन भट्ट प्राचार्य पूर्व प्राचार्य , शिव नाथ संस्कृत महाविद्यालय ने उनके दायित्व का समर्थन करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की।
मंचस्थ अतिथियों में सामाजिक उद्यमी दीपक खंडूरी, राम-राम एसोसिएट के ओनर देवेंद्र सिंह ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी। दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। छात्र कुंकुम ने सरस्वती वन्दना जनपद मंत्री डा प्रदीप सेमवाल ने अतिथियों का परिचय, स्वागत तथा प्रास्ताविक में संस्कृत सप्ताह के इतिवृत्त को उपस्थापित किया। सह विभाग संयोजक डा नवीन जसोला अपने वैदुष्य पूर्ण वक्तव्य से सभी को अभिमुखीकृत किया। ध्येय मंत्र श्वेता रावत, स्वागत नृत्य सरिता, तनीशा व सेजल, साभिनय इष्ट वंदना आद्या पौडेल, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के हर्रावाला बी एम एस महाविद्यालय के प्रथम वर्षीय छात्र प्रींसा, अदिति, कोमल, इंशा, सागर इत्यादि ने कुशल पूर्वक संस्कृत नाटक (प्रहसन) प्रस्तुत किया।
मंच संचालन महानगर मंत्री माधव पौडेल ने किया। अंत में यथार्थ जसोला ने रुद्राष्टक सुनाया। मौके विशेषतया खंड संयोजक डॉ आनन्द जोशी, धीरज विष्ट, गीता शिक्षण प्रमुख योगेश कुकरेती, संपर्क प्रमुख धीरज मैठाणी इत्यादि सहित कार्यकर्ताओं में छात्र प्रमुखा शिवानी रमोला, सौरव खंडूरी, लीजा, लक्ष्मी, पीयुष शर्मा, दुर्गा प्रसाद विष्ट, डा बीना पुरोहित, अभिषेक खंडूरी इत्यादि सामाजिक संस्कृतानुरागी उपस्थित रहे।