आरोपी बोले जमानत पर रिहा होना हमारा अधिकार
नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी हिंसा मामले के 50 आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद उन्हें डिफॉल्ट जमानत दे दी गई है। बीते शनिवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। निर्णय में कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोप पत्र पेश नहीं किया गया और आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दिया गया। इससे पहले हाईकोर्ट ने बीते 24 अगस्त को इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
हिंसा के आरोपी मुजम्मिल सहित 49 अन्य आरोपियों ने उच्च न्यायलय में डिफॉल्ट जमानत प्रार्थनापत्र पेश कर कहा था कि पुलिस ने उनके खिलाफ 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है और ना ही रिमांड बढ़ाने के लिये कोई स्पष्ट कारण बताया। कोर्ट ने उनकी रिमांड बढ़ा दी और उनकी डिफॉल्ट बेल खारिज कर दी। आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या राम कृष्णन उच्च न्यायालय में पेश हुईं।
दूसरी ओर सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं। साथ ही अदालत के पास रिमांड बढ़ाने का अधिकार है। नियमानुसार ही आरोपियों की रिमांड बढ़ाई गई है। सुनवाई पर आरोपियों की ओर से कहा गया कि जो समय बढ़ाया गया है यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। पुलिस बिना किसी कारण के चाहे उनके ऊपर कितने बड़े आरोप क्यों ना लगाए, उन्हें जेल में बंद नहीं रख सकती। अभी तक आरोपपत्र पेश नहीं हुआ, इसलिए उनका अधिकार है कि उनको जमानत पर रिहा किया जाए।
बता दें कि 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रवियों ने हिंसा की थी। उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को आग लगाकर पुलिसकर्मियों को जलाकर मारने की कोशिश की थी। साथ ही अनेक वाहनों को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया था। इस हिंसा में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।