विदाई के अवसर पर महिलाओं की आंखे नम हो गई
गौचर / चमोली। मायके पनाई सेरा स्थित देवी मंदिर आई सात गांवों की अधिष्ठात्री देवी मां कालिंका तीन दिवसीय मायका प्रवास के बाद आज अष्टमी को अपने भाई रावल देवता के साथ ससुराल भट्टनगर स्थित देवी मंदिर को विदा हो गई। अपनी बहन देवी मां को ससुराल छोड़ने के बाद रावल देवता को भारी संख्या में मौजूद भक्तों द्वारा रावल देवता के मूल स्थान रावलनगर गांव में विराजित कर दिया गया।
प्रातः से ही देवी मां की पूजा अर्चना, हवन यज्ञ पुर्णाहुति और अवतारी पुरूषों पर देवी व रावल देवता के अवतरित होते हुए अपने भक्तों को दर्शन व आशीर्वाद देते रहे। ससुराल विदाई के इस अवसर पर मायके पक्ष की ध्याणियों की आंखों आंसुओं से छलछला गई। अपनी लाडली देवी मां को अपने साथ में लाये गये चूड़ा, खाजा, चूड़ी, बिन्दी, काकड़ी, मुगरी आदि समौण देकर विदा किया गया।
इस अवसर पर जगदीश कनवासी, राकेश लिंगवाल, रघुनाथ सिंह बिष्ट, महेंद्र सिंह बिष्ट, उमराव सिंह नेगी, भीम सिंह गुसाईं, देवेन्द्र नेगी, अनिल नेगी, जयकृत बिष्ट, बलवन्त सिंह नेगी, गजेन्द्र सिंह नेगी, शेर सिंह नेगी, पंकज भंडारी, अंशुल नेगी, जयवीर भंडारी, कुंवर सिंह, मंगल सिंह, बलवन्त सिंह बिष्ट, पंडित नागेन्द्र जी , अनुसूया प्रसाद जोशी, आशीष शैली,आदि मंदिर समिति के पदाधिकारी व सदस्य और भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।