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आतंक का पर्याय बने गुलदार को किया ट्रेंकुलाइज, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

बागेश्वर। जिले के धरमघर रेंज के कांडा तहसील क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार को ट्रेंकुलाइज किया गया। जिसके बाद वन विभाग व ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। बीते दिन गुलदार ने ओलनी गांव में तीन साल की मासूम योगिता उप्रेती को अपना निवाला बनाया था। उसके बाद वन विभाग की टीम क्षेत्र में गश्त कर रही थी।
कांडा के ओलनी गांव में डॉ. हिमांशु पांगती ने तेंदुए को ट्रेंकुलाइज किया। तीन दिन से वन विभाग की टीम गुलदार को पकड़ने के लिए दिन-रात कार्य कर रही थी, लेकिन गुलदार वन विभाग की टीम के चुंगल में नहीं आ पा रहा था। बीते दिन गुलदार ने एक मवेशी को भी मार दिया था। वन विभाग ने उसी जगह मचान तैयार किया। जैसे ही देर सायं मवेशी की लाश के समीप भोजन के लिए गुलदार आया, उसको ट्रेंकुलाइज कर दिया गया। डीएफओ ध्रूव सिंह मर्ताेलिया ने बताया कि तेंदुए को ट्रेंकुलाइज कर दिया गया है। इस दौरान रेंजर प्रदीप काण्डपाल, मनीष खाती, गौरव जोशी, आदि मौजूद थे। इधर विभाग द्वारा गुलदार को पकड़ने के बाद दहशत में जी रहे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।आतंक का पर्याय बने गुलदार को किया ट्रेंकुलाइज, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
बागेश्वर। जिले के धरमघर रेंज के कांडा तहसील क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार को ट्रेंकुलाइज किया गया। जिसके बाद वन विभाग व ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। बीते दिन गुलदार ने ओलनी गांव में तीन साल की मासूम योगिता उप्रेती को अपना निवाला बनाया था। उसके बाद वन विभाग की टीम क्षेत्र में गश्त कर रही थी।
कांडा के ओलनी गांव में डॉ. हिमांशु पांगती ने तेंदुए को ट्रेंकुलाइज किया। तीन दिन से वन विभाग की टीम गुलदार को पकड़ने के लिए दिन-रात कार्य कर रही थी, लेकिन गुलदार वन विभाग की टीम के चुंगल में नहीं आ पा रहा था। बीते दिन गुलदार ने एक मवेशी को भी मार दिया था। वन विभाग ने उसी जगह मचान तैयार किया। जैसे ही देर सायं मवेशी की लाश के समीप भोजन के लिए गुलदार आया, उसको ट्रेंकुलाइज कर दिया गया। डीएफओ ध्रूव सिंह मर्ताेलिया ने बताया कि तेंदुए को ट्रेंकुलाइज कर दिया गया है। इस दौरान रेंजर प्रदीप काण्डपाल, मनीष खाती, गौरव जोशी, आदि मौजूद थे। इधर विभाग द्वारा गुलदार को पकड़ने के बाद दहशत में जी रहे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।

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