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2040 तक भारत न केवल मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा, बल्कि अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाएगा : डॉ. सोमनाथ

  • सिंधिया स्कूल के 127वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होकर इसरो के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई
  • 127 सालों की उत्कृष्टता और इन्नोवेशन का जश्न मनाया: विचार, प्रेरणा और समुदाय का सबसे ख़ास दिन

ग्वालियर। सिंधिया स्कूल ने बड़े गर्व के साथ अपना 127वां स्थापना दिवस मनाया। एक ऐसा मौका जो स्कूल की विरासत और मूल्यों का सम्मान करने के लिए सिंधियन समुदाय को एकजुट करता है। पिछले साल इस ख़ास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी उपस्थिति से इसे गौरवान्वित किया था। इस साल केंद्रीय मंत्री और सिंधिया स्कूल के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के प्रेसिडेंट श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ का मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत किया। इस समारोह की शुरुआत 1999 बैच द्वारा संचालित एक विशेष मॉर्निंग असेंबली से हुई, जिसमें स्कूल का झण्डा फहराया गया और नई प्रकाशन सामग्रियों का विमोचन किया गया। उसके बाद स्कूल के प्रतिष्ठित बैंड ने बड़ी खूबसूरती से स्कूल के गीत को प्रस्तुत किया, जिसने पूरे माहौल को खुशनुमा कर दिया।
डॉ. सोमनाथ ने छात्रों द्वारा तैयार कि गई प्रदर्शनी को बड़े जोश के साथ देखा जिनमें उनकी कड़ी मेहनत, क्रिएटिविटी और इन्नोवेशन को दिखाई दी। बच्चों ने ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के जीवन के सफर और उनकी खोजों को एक नए रूप में पेश कर भारत के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और विरासत को दिखाया। स्कूल की परंपराओं से जुड़े रहने और आधुनिक शिक्षा देने के सिद्धांत पर चलते हुए, प्रदर्शनी में आधुनिक टेक्नोलोजी और वैज्ञानिक प्रगति से प्रेरित मॉडल भी शामिल थे। डॉ. सोमनाथ छात्रों के हुनर को देख काफ़ी प्रभावित नजर आए, उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत करते हुए चंद्रयान-3 मॉडल और यात्री-ले जाने वाले ड्रोन के प्रेजेंटेशन में गहरी रुचि दिखाई। इन प्रदर्शनी को श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने भी बड़े गर्व और खुशी से देखा।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने डॉ. सोमनाथ का स्वागत किया और उनके कार्यों की सराहना करते हुए बताया कि, “उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।” उन्होंने डॉ. सोमनाथ की चुनौतियों से पार पाने के फौलादी सफर, चंद्रयान मिशन का नेतृत्व करने, और भारत की अंतरिक्ष पहल में उनके योगदान के बारे में भी बताया। अपने प्रेरणा भरे संबोधन में डॉ. सोमनाथ ने छात्रों से कहा कि अपने कार्यों में आनंद ढूंढें, क्योंकि खुशी ही सफलता की कुंजी है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अपना दृष्टिकोण बताते हुए बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा कि 2040 तक भारत न केवल मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा, बल्कि अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाएगा।
सिंधिया स्कूल के प्रिंसिपल अजय सिंह ने इस ख़ास मौके पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, “शिक्षा का मतलब सिर्फ ज्ञान बटोरना नहीं है। शिक्षा का सही अर्थ अपनी जिज्ञासा, रचनात्मकता और चरित्र को बढ़ाने के बारे में है। सिंधिया स्कूल की कोशिश है कि हम ऐसे समग्र व्यक्तित्व का विकास करें, जो न केवल अकादमिक सफलता के लिए तैयार हों, बल्कि दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने में भी सक्षम हों। हम मानते हैं कि हर छात्र में एक अनूठी क्षमता होती है, और हमारा मकसद उन्हें उनके जुनून की खोज करने, चुनौतियों को मजबूती के साथ स्वीकार करने और अपनी सहनशीलता को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है। स्थापना दिवस के इस शुभ अवसर पर हमें याद रखना चाहिए कि उत्कृष्टता और चरित्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के चलते हम हमारे छात्रों को कल का नेतृत्वकर्ता बनने की दिशा में सही राह दिखाते रहेंगे।”
इस समारोह का समापन एक ओपन-एयर थिएटर में की गई शानदार प्रस्तुति के साथ हुआ, जहाँ सिंधियन समुदाय ने अपनी साझा विरासत का जश्न मनाया। इस कार्यक्रम में वार्षिक पुरस्कारों का वितरण भी किया गया, जिसमें दुबई के एमार ग्रुप के ग्रुप सीईओ, श्री अमित जैन को प्रतिष्ठित माधव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपने भावुक भाषण में उन्होंने सिंधिया स्कूल में बिताए दिनों की यादगार यादें ताजा कीं और प्रतीकात्मक रूप से स्कूल का दीपक सबसे छोटे छात्र को सौंपा। इस मनमोहक शाम का समापन एक शानदार थीम आधारित नृत्य प्रस्तुति के साथ हुआ। साथ ही अंत में सीनियर स्कूल प्रीफेक्ट ने वोट ऑफ़ थैंक्स दिया, जिसे पूरे दिन की कभी न भूलने वाली यादों और स्कूल के मूल्यों के प्रति नए संकल्पों के साथ समाप्त किया। स्थापना दिवस का यह समारोह अतीत को सम्मान देने के साथ-साथ नई यादें जोड़ने और भविष्य के लिए वादे रचने का बड़ा ही खूबसूरत मौका है।

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