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- पुलिस ने जबरन उठा हॉस्पिटल में कराया भर्ती
- दो घंटे चली वार्ता के बाद भी नहीं माने आंदोलनकारी
गैरसैंण । उत्तराखंड के चमोली जनपद के गैरसैंण में विभिन्न मांगों को लेकर बीते 6 दिनों से रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे व्यापार संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह बिष्ट का लगातार स्वास्थ्य बिगड़ रहा था, जिसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम ने सुरेंद्र सिंह बिष्ट को जबरन धरना स्थल से उठाया और उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण में भर्ती करवाया। हालांकि अब सुरेंद्र सिंह बिष्ट की जगह गैरसैंण के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुरेंद्र धीमन ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। दरअसल, कड़ाके की ठंड के बीच 6 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे सुरेंद्र सिंह बिष्ट का वजन 5 किलो तक गिर गया था। इसके अलावा उनका शुगर और ब्लड प्रेशर भी अनियमित चल रहा था। सुरेंद्र सिंह बिष्ट के गिरते स्वास्थ्य को लेकर जिला प्रशासन के निर्देशों पर उपजिलाधिकारी गैरसैंण लगातार आंदोलनकारियों से संपर्क में थे। उपजिलाधिकारी ने सुरेंद्र सिंह बिष्ट का अनशन तुड़वाने का कई बार प्रयास किया, लेकिन आंदोलनकारियों और वो किसी की भी सुनने को तैयार नहीं थे।
नायब तहसीलदार महेंद्र आर्य के नेतृत्व में पंहुचे तहसील कर्मियों और थानाध्यक्ष गैरसैंण जसपाल सिंह नेगी ने सुरेंद्र सिंह बिष्ट और आंदोलनकारियों से करीब दो घंटे तक वार्ता की, लेकिन जब वो नहीं माने तो प्रशासन और पुलिस की टीम ने सुरेंद्र सिंह बिष्ट को धरना स्थल से जबरदस्ती उठाया और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया।
इस दौरान बडी संख्या में अनशन स्थल पर पहुंचे आंदोलनकारियों व महिलाओं ने प्रशासन की जबरन कार्रवाही का विरोध करते हुए नारेबाजी की। प्रशासन की इस कार्रवाई की तानाशाही बताते हुए सुरेंद्र बिष्ट ने कहा कि वो लोग जायज मांगों के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधि और सरकार बात करने को तैयार नहीं है।
वहीं आम जनता की आवाज को दबाने के लिए सरकार पुलिस भेजकर आवाज को दबाने का काम कर रही है। सुरेंद्र बिष्ट को उठाने के बाद गैरसैंण नगर के गैड गांव निवासी पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुरेन्द्र धीमन ने आज से भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि सरकार डराने की लाख कोशिश करे, लेकिन गैरसैंण क्षेत्र की जायज मांगों के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए पूर्व सभासद कुंवर सिंह रावत गुड्डु ने कहा कि सरकार रात को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों भेजती है, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रही जनता से दिन में वार्ता करने में शरमाती क्यों है? इस दौरान विभिन्न गांवों व नगर क्षेत्र की महिला मंगल दल भी प्रति दिन आंदोलन को समर्थन देने गैरसैंण पहुंच रहे हैं।