Breaking News
डीआईटी विश्वविद्यालय ने मनाया राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह 2024 संपन्न
मुस्लिम समाज के “आधुनिक” नायक
मसूरी को मिलने जा रही है जाम से सहूलियत
सौंग बांध पेयजल परियोजना पर कार्य शुरू करने के लिए विस्थापन की कार्यवाही जल्द की जाएः सीएम
राज्यपाल से पर्वतारोही शीतल ने की शिष्टाचार भेंट
विश्व मत्स्य पालन दिवस पर मत्स्य पालन में उत्तराखंड को मिला हिमालयी और उत्तरपूर्वी राज्यों में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार
जिला उद्योग मित्र समिति की बैठक का आयोजन, कहा-उद्योग मित्रों की समस्याओं को प्राथमिकता के साथ निस्तारण करें
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने उत्तरा एम्पोरियम व आईटीडीए ग्रोथ सेन्टर ऋषिकेश का भ्रमण किया
यात्रा प्राधिकरण गठित कर आगामी यात्रा की तैयारी में अभी से जुटें अधिकारी : मुख्यमंत्री

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सुनवाई में स्कूल के संस्थापक के अनुपस्थित रहने पर आयोग अध्यक्ष ने जताई नाराजगी

देहरादून। बाल अधिकार संरक्षण आयोग में विद्यालयों के खिलाफ नियमों की सुनवाई के लिए एक तिथि निर्धारित की गई थी जिसमंे  दून वैली इंटरनेशनल स्कूल देहरादून, वेल्लेम बोएस स्कूल देहरादून, कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल को आयोग में सुनवाई हेतु बुलवाया गया था।
दून वैली इंटरनेशनल स्कूल देहरादून के संस्थापक संजय चौधरी आज सुनवाई में अनुपस्थित रहे, जिस परा अध्यक्ष द्वारा नाराजगी जाहिर की गई एवं नोटिस जारी किया गया।
सुनवाई में वेल्लेम बोएस स्कूल देहरादून के प्रधानाचार्य द्वारा उपयुक्त दस्तावेज आयोग को जमा किये गये तथा  संस्थापक को  8 वबज  आयोग में उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया। कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल में छात्रों के बीच आपसी मारपीट की एक घटना को लेकर आयोग में सुनवाई थी, परन्तु प्रिंसिपल सिस्टर एलिस अनुपस्थित रहीं, विद्यालय से शिक्षिका ने प्रतिनिधित्व किया एवं उनके द्वारा बताया गया कि  प्रधानाचार्य सिस्टर एलिस शहर में मौजूद नहीं है  इसलिए वह उपस्थित नहीं हो सकीं।
इस से पूर्व में भी प्रधानाचार्य की अनुपस्थिति रही है जो कि आयोग के आदेशों की अवहेलना के साथ अत्यंत चिंताजनक है। आयोग ने यह पाया कि प्रधानाचार्य सिस्टर एलिस की गैरमौजूदगी का बहाना झूठा था और इसे आयोग को गुमराह करने का प्रयास माना गया। थाना डालनेवाला ने उन्हें विद्यालय में उपस्थित पाया पर उनके द्वारा कोई स्पष्टतः कारण नहीं बताया गया।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि हर विद्यालय को आरक्षण संबंधी मुद्दों और साइबर बुलिंग जैसी समस्याओं के निवारण के लिए एक समिति बनानी आवश्यक है। विद्यालयों में काउंसलर द्वारा बच्चों से बातचीत कर, ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने की योजना बनाई जानी चाहिए। परन्तु, इस प्रकरण के बावजूद, न तो प्रिंसिपल, न ही शिक्षक और न ही अभिभावक कोई उचित कदम उठाते दिखे। प्रधानाचार्य द्वारा इस तरह से ग़लत वक्तव्य देना अति शोचनीय है यदि वो सच नहीं बोल सकते तो बच्चों को क्या शिक्षा देंगे। आयोग ने पहले भी निर्देश दिया था कि हर विद्यालय को अपने गेट पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ईमेल आईडी, टेलीफोन नंबर और पैरेंट-टीचर एसोसिएशन से संबंधित सभी जानकारी प्रदर्शित करनी चाहिए, ताकि ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई की जा सके। लेकिन विद्यालय इसका पालन करने में असफल रहे हैं। आयोग ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर इस पर उचित कार्रवाई के आदेश पारित किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top