तुलाज़ इंस्टिट्यूट ने आईईईई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की करी मेजबानी

देहरादून: तुलाज़ इंस्टिट्यूट ने मंगलवार को अपने परिसर में कंप्यूटिंग, कम्युनिकेशन और मटेरियल में प्रगति पर आईईईई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएसीसीएम) की मेजबानी करी। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के शोधकर्ता, शिक्षाविद और उद्योग जगत के दिग्गज एक साथ आए, जिससे विचारों के आदान-प्रदान, अभूतपूर्व शोध और उभरती प्रौद्योगिकियों की खोज के लिए एक गतिशील मंच तैयार हुआ।

सम्मेलन को अद्भुत प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 1,250 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। कठोर सहकर्मी समीक्षा के बाद, 340 पत्र स्वीकार किए गए और 254 प्रस्तुत किए गए, जिससे शोध की गुणवत्ता का प्रदर्शन हुआ। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, नाइजीरिया, नेपाल, मलेशिया, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया सहित विभिन्न देशों के प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम की वैश्विक अपील और अकादमिक उत्कृष्टता को रेखांकित किया।

सम्मेलन का मुख्य आकर्षण मुख्य वक्ताओं का लाइनअप रहा , जिन्होंने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। मलेशिया के सनवे विश्वविद्यालय के प्रो. रंजीत सिंह ने एम्बेडेड सिस्टम और आईओटी रिसर्च पर चर्चा की। जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो. अश्विनी कुमार आर्य ने आईओटी अनुप्रयोगों के लिए एंटीना डिजाइन पर गहन चर्चा की। जापान के क्यूशू विश्वविद्यालय के प्रो. रवि नाथ तिवारी ने पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के भविष्य पर चर्चा की। लखनऊ के ब्राउ के प्रो. बलराज सिंह ने नैनोडिवाइस और वीएलएसआई में प्रगति पर प्रकाश डाला, जबकि गूगल , यूएसए के वरिष्ठ प्रोजेक्ट लीड विनय तिवारी ने क्लाउड आर्किटेक्चर और सुरक्षा के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा करी।

सम्मेलन में आईआईटी (रुड़की, कानपुर, रोपड़, दिल्ली), एनआईटी उत्तराखंड, डीआईटी विश्वविद्यालय, यूपीईएस और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय सहित प्रतिष्ठित संस्थानों से भी उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। ऑनलाइन जुड़े कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों सहित उपस्थित लोगों ने सम्मेलन की विविधतापूर्ण और प्रभावशाली सत्रों के लिए प्रशंसा की। इन सत्रों और कार्यशालाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत सामग्री और संधारणीय संचार प्रणालियों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिससे अंतःविषय शिक्षण और सहयोग को बढ़ावा मिला।

उद्घाटन सत्र के दौरान, तुलाज़ इंस्टीट्यूट में प्रौद्योगिकी के उपाध्यक्ष प्रो. राघव गर्ग ने ऑफ़लाइन सम्मेलनों में आमने-सामने बातचीत के अद्वितीय लाभों पर जोर दिया। तुलाज़ इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. संदीप विजय ने तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, अकादमिक डीन प्रो. निशांत सक्सेना और शोध एवं विकास डीन प्रो. सुनील सेमवाल ने अत्याधुनिक शोध को बढ़ावा देने के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा किया। डॉ. त्रिपुरेश जोशी, अनुसंधान एवं विकास समन्वयक और आईईईई छात्र शाखा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रखर गोयल ने भी सम्मेलन की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top